प्रेम

डॉ. सुरंगमा यादव (अंक: 232, जुलाई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

डाॅ। सुरंगमा यादव
लखनऊ 

1.
प्रेम संजीवनी ज़िन्दगी के लिए
प्रेम शीतल पवन है तपन के लिए
प्रेम जिसने किसी से किया ही नहीं
उसने कुछ न सहेजा स्वयं के लिए। 
2.
प्रेम बंधन नहीं है, बँधो तो सही
प्रेम विस्तार है तुम करो तो सही
प्रेम में जिसने धोखा किया जानके
सात जन्मों तरसता सुनो तो सही। 
3.
प्रेम होली का रंग प्रेम दीपावली
प्रेम में साँझ भी भोर बनकर खिली
प्रेम संसार का आदि संगीत है
प्रेम में डूबकर सिया वन को चली। 
4.
प्रेम करना है तो डूब कर तुम करो
प्रेम में घात लेकिन कभी मत करो
भावना में बही बेटियो तुम सुनो
प्रेम के नाम पर यातना मत सहो। 
5.
प्रेम में दिल के टुकड़े सुने थे कई
देह के टुकड़ों की बात है ये नई
समर्पण की सीमा बहुत है ज़रूरी
जान की क़ीमतें क्योंकि सस्ती हुईं। 

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