जो तुम आ जाते
डॉ. सुरंगमा यादवजो तुम आ जाते जीवन में
जीवन सुमन विहँस जाता
धुल जाता मन का विषाद सब
राग मधुर मन गा उठता
भटक रहीं जो अभिलाषाएँ
उनको आश्रय मिल जाता
मृदु सपनों में खोते नयना
करते रहे जो जगराता
चिर संचित नैराश्य हमारा
धवल हास बन छा जाता
थकित हुआ है मन पंछी अब
नीड़ प्यार का मिल जाता
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