सुरंगमा यादव हाइकु - 5
डॉ. सुरंगमा यादव1.
प्रेम के क़िस्से
दर्द की जागीर है
हमारे हिस्से।
2.
मन एकाकी
गहन अंधकार
दीप-सा जला।
3.
मन की रेत
कुरेदी तनिक-सी
नमी ही नमी।
4.
कैसा बेदर्द
बढ़ता जाता दर्द
दवा पे भारी।
5.
वश न चला
विवशता बरसी
नैनों की राह।
6.
नैन कपाट
कब तक रोकेंगे
आँसू का रेला।
7.
सजल नैन
यादों के दीप जले
पलकों तले।
8.
यादों का देश
भटक रहा मन
तुम्हें ढूँढ़ता।
9.
शब्द हैं मौन
आँसू हुए मुखर
समझे कौन!
10.
प्रेमी साधक
सर्वस्व समर्पण
कर दे मन।
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