सुरंगमा यादव हाइकु - 6
डॉ. सुरंगमा यादव
1.
मधुप मुग्ध
फूलों पर शोभित
ज्यों काला टीका।
2.
निखर उठी
वसंत पार्लर में
प्रकृति सखी।
3.
प्रकृति मंच
प्रेम कथा वाचक
बना वसंत।
4.
ख़ुद न जाने
किस सुख के पीछे
मन ये भागे।
5.
रीता दीपक
बाती की निचुड़न
वृद्ध जीवन।
6.
निकले पर
मुड़कर न देखा
फिर इधर।
7.
युवा विकृति
बुज़ुर्गों की उपेक्षा
नव संस्कृति।
8.
पेंशन मिली
सहेजने आ गयी
बेटे की जेब
9.
आस्तीनी साँप
फुफकारते नहीं
चूकते नहीं।
10.
नदी का तट
धधकती लपटें
आँसू के रेले।
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