सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’122 122 122
सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम
बनो तो मिरी शोअरा तुम
ये सोना ये चाँदी ये हीरा
है खोटा मगर हो खरा तुम
तिरा ज़िक्र हर बज़्म में है
सभी ज़िक्र से मावरा तुम
मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब
ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
मिलो भी कभी घर पे मेरे
करो चाय पर मशवरा तुम
थी ये दोस्ती कल तलक ही
हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम
17 टिप्पणियाँ
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क़ाबिल तारीफ़
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खूबसूरत ग़ज़ल
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Bahut khub ghazal
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Waah मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
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बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
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सुंदर शायरियां
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बेहतरीन
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Lazbab ghazal
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बहुत ख़ूब
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Lajwab ghazal mahoday
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shandar ghazal sir
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वाह वाह क्या बात है
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मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
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Awesome
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umda ghazal behatreen
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बहुत ख़ूब
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छोटी बह्र में बहुत ही लाज़बाब ग़ज़ल वाह
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