सिर्फ़ ईमान बचा कर मैं चला जाऊँगा
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
सिर्फ़ ईमान बचा कर मैं चला जाऊँगा,
और सब कुछ यूँ लुटा कर मैं चला जाऊँगा।
बीच हम लोगों के ये दीवार खड़ी कब से
बस वो दीवार गिरा कर मैं चला जाऊँगा।
दुश्मनी प्यार से ऐ यार निभा ले कुछ दिन,
फिर सभी क़र्ज़ चुका कर मैं चला जाऊँगा।
बेबसी पे जो कही थी इक ग़ज़ल मैंने कल,
वो ग़ज़ल आज सुना कर मैं चला जाऊँगा।
1 टिप्पणियाँ
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Bahut khub
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