प्रेम में संघर्ष
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’1.
संघर्ष प्रेम में है . . .
प्रेम की घड़ी में सेकंड . . . मिनट . . . घण्टे का नहीं―
दिनों का काँटा होता है।
अभागों के लिए तो महीनों . . . बरसों का . . .!!
2.
एक ख़्वाब देखता हूँ—
हम साथ है।
मिलते हैं—
सड़क किनारे के सेमल के पेड़ के पास
जहाँ गिरते हैं सेमल के लाल फूल।
सब कुछ ठीक है,
प्रेम में अब संघर्ष नहीं है।
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