हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू

01-11-2021

हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू

अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’ (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

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हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू,
हर गीत मेरी हर ग़ज़ल में शामिल है तू।
 
है ख़ुश-नुमा ये ज़िंदगी मेरी आजकल,
ये है कि मेरे आजकल में शामिल है तू।
 
मैं बे-अदब था बन गया लेकिन बा-अदब,
जब से मेरे तर्ज़-ए-अमल में शामिल है तू।
 
तेरी तो ना-मौजूदगी में भी दीद है,
हर वक़्त मेरे नैन-तल में शामिल है तू।
 
कैसे बयाँ मैं कर सकूँ तेरे हुस्न को,
ये इल्म है हुस्न-ए-अज़ल में शामिल है तू।

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