हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’221 222 12 222 12
हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू,
हर गीत मेरी हर ग़ज़ल में शामिल है तू।
है ख़ुश-नुमा ये ज़िंदगी मेरी आजकल,
ये है कि मेरे आजकल में शामिल है तू।
मैं बे-अदब था बन गया लेकिन बा-अदब,
जब से मेरे तर्ज़-ए-अमल में शामिल है तू।
तेरी तो ना-मौजूदगी में भी दीद है,
हर वक़्त मेरे नैन-तल में शामिल है तू।
कैसे बयाँ मैं कर सकूँ तेरे हुस्न को,
ये इल्म है हुस्न-ए-अज़ल में शामिल है तू।
4 टिप्पणियाँ
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20 Oct, 2021 11:29 PM
बेहतरीन गजल
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20 Oct, 2021 11:20 PM
Shandar
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20 Oct, 2021 11:13 PM
behtareen ghazal
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20 Oct, 2021 06:57 PM
Wah waah
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