अंततः अब मिलना है उनसे मुझे
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल
212 22 2122 12 212 22 2122 12
अंततः अब मिलना है उनसे मुझे, आज तक़रीबन शाम को छः बजे,
सोच मन विचलित दिल ये कैसे सहे, तीव्र गति धड़कन शाम को छः बजे
दृग निहारे अविराम केवल घड़ी, इक घड़ी भी कटना है मुश्किल बड़ी,
मैं तो हूँ अति व्याकुल दरस के लिए, पुष्प सम आनन शाम को छः बजे
हो न जाए अतिकाल अभिसार में, अननुमत है अतिकाल ये प्यार में,
शीघ्र आएगी प्रीत भी संग ले, ख़ूब वह बन-ठन शाम को छः बजे
छम छमा छम छम ख़ूब करती हुई, वो हवाओं सी ख़ूब बहती हुई,
आई पैंजनियों की मधुर धुन लिए, छन छना छन छन शाम को छः बजे
पल मनोहर मेरी प्रिये भी रुचित, कर गई मन मादक हिये भी मुदित,
चाह है बस निस-दिन मुझे चाहिए, चारु यह जीवन शाम को छः बजे
8 टिप्पणियाँ
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20 Oct, 2021 11:14 PM
Bahut khub laga
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30 Aug, 2021 02:02 PM
Waah दृग निहारे अविराम केवल घड़ी, इक घड़ी भी कटना है मुश्किल बड़ी, मैं तो हूँ अति व्याकुल दरस के लिए, पुष्प सम आनन शाम को छः बजे
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30 Aug, 2021 02:00 PM
Nice ghazal
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30 Aug, 2021 01:59 PM
Shanadar
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25 Aug, 2021 03:56 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
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25 Aug, 2021 12:14 AM
Kya kehne ❤️ waah
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25 Aug, 2021 12:09 AM
मिलन पर बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
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24 Aug, 2021 06:13 PM
वाह लाजवाब
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