मेरा सफ़र भी क्या ये मंज़िल भी क्या तिरे बिन
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122
मेरा सफ़र भी क्या ये मंज़िल भी क्या तिरे बिन
जैसे हो चाय ठंडी औ तल्ख़ यूँ पिए बिन
दीद बिन आपके मेरी ज़िंदगी तो जैसे
यूँ बतदरीज बढ़ता क़िस्सा कोई सिरे बिन
मेरी वफ़ा को भी क्यूँ मेरी ख़ता में गिन कर
क्यूँ मिल रही सज़ा मेरे ज़ख्म को गिने बिन
उम्मीद है मिलन की ज़िंदा तभी तो सोचो
ज़िंदा हूँ क्यूँ मैं अबतक ये ज़िंदगी जिए बिन
8 टिप्पणियाँ
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20 Oct, 2021 11:19 PM
Bahut hi khub
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30 Aug, 2021 02:03 PM
Waah
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25 Aug, 2021 03:57 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
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1 Jul, 2021 03:20 AM
बेहतरीन शायरियां
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26 Jun, 2021 05:00 AM
सुंदर ग़जल
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24 Jun, 2021 03:07 AM
Bahut khub
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24 Jun, 2021 01:37 AM
Really Nice ghazal
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23 Jun, 2021 08:31 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
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