राम नाम मधुशाला हो

15-04-2022

राम नाम मधुशाला हो

अंकुर सिंह (अंक: 203, अप्रैल द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

माफ़ी माँगों तुम भूलों की, 
छोड़ तन सभीको जाना हैं। 
साँसें अपनी पूरी करके, 
पंचतत्व में मिल जाना है॥
 
दुनिया का बुद्धिमान प्राणी, 
मानव ही तो कहलाता हैं। 
श्री राम नाम का जप करके, 
जन्म मरण को तर जाता हैंं॥
 
चौरासी लाख जन्म खोकर, 
तुम मानव तन को पाएँ हो। 
न हो फिर जन्म चक्र का फेरा, 
क्या ये निश्चय कर आएँ हो? 
 
मिला श्वास गिन गिनकर सबको, 
सुकर्म कर सबको जाना हैं। 
न करों घमंड तुम दौलत का, 
सब छोड़ यहीं सबको जाना हैं॥
 
है प्राणवायु जब तक तन में, 
भू पर कुटुंबकम् लाना है। 
डगर कठिन हो चाहे जितना, 
श्री राम नाम अपनाना है। 
 
सफ़र में हो ऐसे नेक कर्म
फिर लौटकर ना आना हो। 
हो जीवन में उद्देश्य अपना, 
पास राम नाम मधुशाला हो॥

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