जन्म सफल हो जायेगा
अंकुर सिंहमिला मानव जीवन सबको,
नेक कर्म में सभी लगाएँ॥
त्याग मोह माया, द्वेष भाव,
प्रभु भक्ति में रम जाएँ॥
मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा,
निज धर्म सभी को प्यारा॥
मातृ पिता हैं प्रभु समान,
इनकी सेवा धर्म हमारा॥
पंचतत्व से बना निज काया,
चौरासी लाख बाद पाया।
इसे प्रभु भक्ति में रमा कर,
दूर करें अवगुण की छाया॥
भले जुटा ले काग़ज़ के धन,
पर छोड़ सभी को जाना है॥
मिला भाग्य से मानव तन,
इसे प्रभु भक्ति में लगाना है॥
काम, क्रोध और मद, लोभ,
ये सब वैतरणी के अवरोध॥
दूर यदि इनसे रह पाएँगे
तो जीवन सफल कर पाएँगे॥
कम रहा यदि धन और दौलत,
कमा इसे फिर लिया जायेगा।
पर लग गया प्रभु का चस्का,
तो जन्म सफल हो जायेगा॥