राम नाम मधुशाला है

01-01-2024

राम नाम मधुशाला है

अंकुर सिंह (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

माफ़ी माँगों तुम भूलों की,
छोड़ तन सभी को जाना है।
साँसें अपनी पूरी करके,
पंचतत्व में मिल जाना है॥
 
दुनिया का बुद्धिमान प्राणी,
मानव ही कहलाता है।
श्रीराम नाम का जप करके,
जन्म मरण को तर जाता है॥
 
चौरासी लाख जन्म खोकर,
हम मानव तन को पाएँ हैं।
न हो फिर चौरासी का फेरा,
क्या ये निश्चय कर आए हैं?
 
मिला श्वास गिन-गिनकर सभी को,
सुकर्म कर हम सबको जाना है।
न घमंड करो तुम धन दौलत का,
छोड़ यहीं सभी को जाना है॥
 
है प्राणवायु जब तक तन में,
भू पर कुटुंबकम् लाना है।
डगर कठिन हो चाहे जितनी,
श्री राम नाम को अपनाना है।
 
सफ़र में हों ऐसे नेक कर्म
फिर लौटकर ना आना है।
हो जीवन में उद्देश्य अपना,
पास राम नाम मधुशाला है॥

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