मुश्किल की घड़ी

15-12-2022

मुश्किल की घड़ी

ममता मालवीय 'अनामिका' (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मुश्किल की घड़ी जब आएगी; 
तुम्हें नए अध्याय सिखाएगी। 
समझ आएगा, तुम्हें हर एक पृष्ठ; 
मगर क़िस्मत लाचार बनाएगी। 
 
लड़ना होगा जब ख़ुद के लिए; 
बाज़ू तब इक टूट जाएगी। 
आसमाँ के निकट जब होंगे तुम, 
तभी डोर धरा से कट जाएगी। 
 
रखना चाहोगे तनिक सब्र तुम, 
बेसब्र ज़िंदगी तुम्हें कर जाएगी। 
बाँटना चाहोगे, तुम दर्द किसी का; 
तभी बेड़ियाँ पग में डल जाएँगी। 
 
साथ भी, तभी अपने छोड़ेंगे; 
साथ की ज़रूरत, जब आएगी। 
ये ‘मुश्किल की घड़ी’ ही तुम्हें, 
इन परायों का भेद बताएगी। 
 
मगर लड़ना तुम अंतिम क्षण तक; 
ये लड़ाई जुनून से जीती जाएगी। 
गर बन गए तुम, मील के पत्थर, 
तो मुश्किल घड़ी भी बीत जाएगी। 

1 टिप्पणियाँ

  • 5 Dec, 2022 07:58 AM

    बहोत ही सकारात्मक ऊर्जा भरी पेशकश ❤️

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