जीवन पाठ

01-09-2021

जीवन पाठ

ममता मालवीय 'अनामिका' (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ज़िंदगी मज़बूत तो बनाएगी,
मगर मासूमियत छीन कर।
अनेक राग, धुन सुनाएगी।
मगर तेरी आवाज़ छीन कर।
 
हँसना भी वो सिखाएगी।
ख़ुशी की वज़ह छीन कर।
ज़िंदगी चलना भी बताएगी।
तेरा धरती, अम्बर छीन कर। 
 
ज़िंदगी क़ाबिल तो बनाएगी,
तेरा ख़ुद पर ग़ुरूर छीन कर।
अनेक धूप, छाँव दिखाएगी।
मख़मली तेरी चादर छीन कर।
 
ख़ामोशी भी वो सिखाएगी,
तेरी सहनशीलता छीन कर।
ज़िंदगी बोलना भी बताएगी।
तेरे अपनों का साथ छीन कर।
 
ये ज़िंदगी के मुसाफ़िर,
तू हिम्मत रखना हरदम।
ज़िंदगी बहार भी लाएगी,
तेरे मन के हर भय को छीन कर।

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