एक दिन सब बदल जाएगा

01-06-2025

एक दिन सब बदल जाएगा

ममता मालवीय 'अनामिका' (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

एक दिन सब बदल जाएगा, 
आज का दिन, 
कल की याद बन जाएगा। 
ये पल जो नसीब हुए हैं; 
ख़ुशियों के 
ये पल भी कल की 
मिसाल बन जाएगा। 
 
किसी का साथ छूट जाएगा, 
कोई दोस्त तुम से रूठ जाएगा। 
जिसे दिल की हर बात 
बताते हो तुम आज, 
कल पुकारने पर भी 
वो पास नहीं आएगा। 
 
किसी दलदल में फँसे हो 
अगर तुम आज
तो सब्र रखो, 
ये वक़्त भी गुज़र जाएगा। 
तुम्हारे हक़ का ख़ुद चल कर, 
एक दिन तुम्हारी दहलीज़ तक आएगा। 
 
ये उलहाना, तिरस्कार से 
घबराते नहीं यूँ ही। 
ये बेहिसाब दर्द भी; 
एक दिन 
तेरी ताक़त बन जाएगा। 
 
प्रेम में तूने बिखेरा हैं ख़ुद को, 
तेरे दिल का हर टूटा हिस्सा; 
एक नायाब अंश बन जाएगा। 
ख़ुशियों का मंज़र; 
एक दिन तेरे हिस्से भी आयेगा। 
सब्र रख, ये मेरे दोस्त! 
एक दिन सब बदल जाएगा। 

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