जाने क्यूँ?
शैलीमेरे अंदर का कवि
दिन में सोता, रात में जागता
जाने क्यूँ,
सुख में रोता, दुःख में हँसता
जाने क्यूँ,
जन्म पर दुखी, मृत्यु पर खुशी
जाने क्यूँ
शान्ति में उदास, संहार में हास
जाने क्यूँ
मेरा मन
रात, संहार, मृत्यु, पर दुःखी
जाने क्यूँ
दुःख, दर्द, भय
'अथ' से आरम्भ,
'इति' से ख़तम
फिर भी 'अंत' पर ग़म
जाने क्यूँ ?
2 टिप्पणियाँ
-
वाह वाह वाह!!!
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Kavita bahut achhi lag.
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