आराधना

शैली (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

माँ शैल पुत्री, गिरिजा, कुमारी 
नमन चंद्रघण्टे, जयन्ती, कराली
नमो मातृ गौरी, नमो भद्रकाली
माता भवानी, अपर्णा, शिवानी 
 
कात्यायनी, ईश्वरी, मातु अंबा
शाकम्भरी, शाम्भवी, मुक्तकेशी
नमो चण्डिका, अम्बिका, देवि दुर्गा 
चरणों में आये हैं मइया तुम्हारी 
 
माँ शक्ति दे दो गुण गा सकूँ मैं 
गीतों की माला पहना सकूँ मैं 
अलंकार, छंदों से शृंगार करके 
स्वर-दीप से आरती कर सकूँ मैं 
 
निवेदन करूँ शुद्ध कोमल स्वरों में
भक्ति की शक्ति को मन में भरूँ मैं 
करूँ चित्त एकाग्र तेरे चरण में 
भावों का नैवेद्य अर्पण करूँ मैं 
 
प्रशंसा करूँ मैं मधुर गीत गा कर 
भव बंधनों को हृदय से भुला कर 
पड़ूँ पाँव तेरे मैं अभिमान खो कर 
समर्पित रहूँ इन चरण की रजों में 
 
करूँ स्मरण तेरा अन्तःकरण में 
मनोचित्त हों पूर्ण तेरे मनन से
नमित-शीश तेरा नमन कर सकूँ मैं 
विरुदावली का कथन कर सकूँ मैं 
 
मनोभाव हों निष्कपट दूर छल से 
प्रमादादि, आलस्य, भ्रम और तम से 
मनोशुद्धि, शुचिता, अमलता धरूँ मैं 
सहज भाव से अर्चना कर सकूँ मैं

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