एक अज़ीम उपलब्धि

01-05-2021

एक अज़ीम उपलब्धि

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ज़िक्र किया तुम्हारा
जब जब मैंने
अपनी कविता में,
पढ़ कर दिल धड़का तुम्हारा
कुछ पल सिर्फ़ मेरे लिए,
वही अनमोल पल
इस लेखन यात्रा की
एक अज़ीम उपलब्धि हैं मेरे लिए।
 
मैंने विरह लिखा जब
तो तड़प उठा तुम्हारा मन
जुदाई की आग में,
तुम्हारे रोम रोम ने
ज़रूरत महसूस की मेरी,
तुम्हारी वही तड़प
इस लेखन यात्रा की
एक अज़ीम उपलब्धि है मेरे लिए।
 
मैंने शृंगार लिखा जब
तो सारी दुनियादारी भूलकर
मन किया तुम्हारा
उड़कर मेरे पास पहुँच जाने को,
स्पर्श से मेरे मुझमें ही
एकरूप हो जाने को,
तुम्हारी वही चाह
इस लेखन यात्रा की
एक अज़ीम उपलब्धि है मेरे लिए।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में