अल्फ़ाज़

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

उग्र हुए
तो जला कर राख कर डाले
रिश्ते कई,
नम्र हुए
तो प्रेम की गंगा बना बहा डाले
नाते कई,
 
उग्र हुए
तो युद्ध करवा बर्बाद कर डाले
साम्राज्य कई,
नम्र हुए
तो प्रेम से आबाद कर डाले
राम-राज्य कई,
 
इंसान के अल्फ़ाज़ों में
शक्ति है सर्वप्रिय उसे बनाने की
या फिर 
उसे सबसे घृणित ठहराने की।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में