30 - म्यूज़िक सिस्टम

15-04-2019

30 - म्यूज़िक सिस्टम

सुधा भार्गव

12 जुलाई  2003 

म्यूज़िक सिस्टम

मेरे पास फ्लिप्स का पोर्टेबल म्यूज़िक सिस्टम (Portable music system)। क़रीब 15 साल काम करते-करते वह थक चुका था और मैं- उसका इलाज कराते-कराते थक चुकी थी। अंत में मैंने उसे अपने घर से हटा ही दिया और सोचा-कनाडा तो जा ही रही हूँ, वही से नया, सुंदर सा म्यूज़िक सिस्टम ख़रीद लूँगी।
 
एक दिन ओटावा में हम वॉलमार्ट जा रहे थे। मैंने म्यूज़िक सिस्टम के बारे में बेटे से बात की। वहाँ जेवीसी, सोनी, पेनासोनिक, सैन्यो के नए–नए मॉडल रखे थे। डिस्काउंट के कारण जेवीसी सबसे सस्ता पड़ रहा था। सस्ते के लालच में मैं उसे ख़रीदने को तैयार तो हो गई पर अंदर से मन बुझा-बुझा सा था। जेवीसी अंदर से कैसा है इसका तो मुझे अंदाज़ नहीं पर ऊपर से एकदम काला था, एकदम भूत की तरह... और मुझे काले रंग से महाचिढ़। एक बार हाँ करके अपनी बात से पलटना भी नहीं चाहा। माँ होने की नाते थोड़ा तो भारी-भरकम होना था। करूँ तो क्या करूँ! दुविधा में अच्छी जान फँसी। 

मेरी मन की स्थिति को बेटा भाँप गया। बोला, "माँ, ख़रीद लेते हैं। क्योंकि हो सकता है कल इस पर इतनी छूट न मिले। आप घर पर चलकर अच्छे से सोच लेना। कहोगी तो बदलकर ले जाएँगे।" 

मैं राज़ी हो गई। पर ख़रीदने के बाद वह उल्लास न था जिस उल्लास के साथ दुकान पर गई थी। असल मेरे दिमाग़ में सेन्यो का नील सफ़ेद सुन्दर मॉडल घूम रहा था। मैं तो उसकी सूरत पर फ़िदा थी, सीरत का पता न था। घर पर आए। न म्यूज़िक सिस्टम का डिब्बा खोला न उसे बजाया। बस रख दिया उसे अलमारी के ऊपर, मानो उसे ख़रीदा ही हो बदलने के लिए। 

रात में कंप्यूटर पर मैं कोई काम कर रही थी कि चाँद धीरे से आकर बोला, "माँ...।" 

मैं चौंक पड़ी। प्रश्न भरी निगाहों से उसकी तरफ़ देखा। 

प्यार भरी मुस्कान बिखेरता बोला, "माँ, इस समय आसपास कोई नहीं –मुझे चुपचाप बता दो, आपको म्यूज़िक सिस्टम पसंद है या नहीं?" 

मैंने बड़ी मुश्किल से साहस जुटाया और कहा, "नहीं।" 

"मगर क्यों माँ?"

"पहली तो बात, वह कालू है। दूसरे उसका आकार बड़ा बेढब है। हर जगह उसको लेकर बैठा नहीं जा सकता," एक साँस में कह कर हल्की हो गई। 

"तब सोनी ले लें," उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। 

"वह तो बड़ा महँगा है।" 

"माँ, ऐसी बात क्यों करती हो? क्या मैं आपको दिला नहीं सकता? याद है आपको... जब मैं छोटा था मुझे संगीत सुनने का बड़ा शौक़ था। मैं म्यूज़िक सिस्टम चाहता था। आप मुझे अकेली लेकर बाजार गईं और न जाने कितनी दुकानें देखकर मेरे लिए वीडीओ कोन का म्यूज़िक सिस्टम पसंद किया। पापा की इच्छा ले विरुद्ध मुझे वह ख़रीदवाया।" 

"हाँ, तब मैं कुछ रुपया तुम लोगों के लिए बचाकर रखती थी। उस समय मेरे पास पैसा था।" 

"अब मेरे पास है। मैं आपकी इच्छा का ख़रीदवाऊँगा।" 

"मुझे तो सेन्यो (Sanyo) जापानी मॉडल पसंद है,” मन की बात आख़िर ज़बान पर आ ही गई। उसे लेने बच्ची की तरह मचल पड़ी। 

"यह कंपनी भी बहुत अच्छी है। कल ही चलेंगे माँ!" 

मैं पुलकित हो उठी और उसने मेरे चेहरे पर चमकते सितारों की भाषा पढ़ ली। 

शायद उसे इन्हीं सितारों का इंतज़ार था। 

वह तो अपने कमरे मेँ चला गया पर मैं वास्तव मेँ एक छोटी सी बच्ची हो गई जो अपनी मनचाही गुड़िया पाने की ललक में उछल रही थी। है तो वह मेरा बेटा ही पर कभी-कभी लगता है उसके साथ पितातुल्य छत्रछाया में रह रही हूँ। 

किसी ने ठीक ही कहा है- बच्चे जब छोटे होते हैं तो इन्हें माँ-बाप की छत्रछाया चाहिए, पर जब वे ही माँ-बाप बुढ़ापे की चौखट पर पहुँच जाते हैं तो उन्हें बच्चों के मज़बूत कंधों का सहारा चाहिए। 

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