ज़रूरी है
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’थोड़ी - सी छाँव
थोड़ी- सी धूप।
थोड़ी - सा प्यार
थोड़ी- सा रूप।
जीवन के लिए ज़रूरी है...
थोड़ा तकरार
थोड़ी मनुहार।
थोड़े -से शूल
अँजुरीभर फूल।
जीवन के लिए ज़रूरी है...
दो चार आँसू
थोड़ी मुस्कान।
थोड़ा - सा दर्द
थोड़े - से गान।
जीवन के लिए ज़रूरी है...
उजली- सी भोर
सतरंगी शाम।
हाथों को काम
तन को आराम।
जीवन के लिए ज़रूरी है...
आँगन के पार
खुला हो द्वार।
अनाम पदचाप
तनिक इन्तज़ार।
जीवन के लिए ज़रूरी है...
1 टिप्पणियाँ
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बहुत सुंदर, जीवन में संतुलन बिठाने के लिए सब कुछ ज़रूरी है!!
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