अक्कड़-बक्कड़
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे।
हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं।
बादल थककर चूर हुआ
रोने को मज़बूर हुआ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए।
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