आग के ही बीच में
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’आग के ही बीच में अपना बना घर देखिए
यहीं पर रहते रहेंगे हम उम्रभर देखिए।
एक दिन वे भी जलेंगे, जो तपन से दूर हैं
आँधियों का उठ रहा दिल में वहाँ डर देखिए।
पैर धरती पर हमारे, मन हुआ आकाश है
आप जब हमसे मिलेंगे, उठा यह सर देखिए।
जी रहे हैं वे नगर में, द्वारपालों की तरह
कमर सज़दे में झुकी है, पास जाकर देखिए।
टूटना मंज़ूर पर झुकना हमें आता नहीं
चलाकर ऊपर हमारे, आप पत्थर देखिए।
भरोसे की बूँद को, मोती बनाना है अगर
ज़िन्दगी की लहर को, सागर बनाकर देखिए।
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