तलवार थाम बादल आया
रामदयाल रोहजतलवार थाम
बादल आया
हुआ था
युद्ध भंयकर।
हिनहिनाते घोड़े
चिंघाड़ रहे थे हाथी
नभ में गूँजता
वीरों का प्रचंड स्वर।
चमकी लाल
तड़ित तलवारें
गूँज उठी
नभ में ललकारें
छूटे बाण धनुष्टंकारे
संध्या हुई
शंख बजे
थम गया युद्ध
ना कोई मरा
ना घायल था
चहुँ ओर हँस रहे
हर्ष के हंस
निकल आया चाँद
नील जल में
स्नान कर।
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