अचला सुन्दरी
रामदयाल रोहजसूरज उत्तरायण को आया
लगी खेलने खिलकर धूप
हुई किशोरी सी अचला
शर्माकर छिपा रही है रूप।
वायु की कंघी से अपने
घने बाल सुलझाए हैं
सेमल ने उसके बालों में
सुन्दर सुमन सजाए हैं।
एक साल के फटे पुराने
वस्त्र छोड़ नूतन पहने
वल्लरी की सुन्दर माला
प्रसूनों के मंजुल गहने।
कोमल कनक कलाइयों में
सतरंगे कंगन खनक रहे
पीत पत्ते पाँवों के घुँघरू
मधुर मधुर अब छनक रहे।
हाथ किए सरसों ने पीले
सखियाँ खिलकर गले मिली
सोलह सिंगार किए सुन्दर
यह देख देख कर रति जली।
कोयल ने शुरू किए गाने
भंवरों ने राग मिलाया
उत्साह का उत्सव होता
सबका मनभावन आया।
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