धनुष गगन में टाँग दिया

15-09-2019

धनुष गगन में टाँग दिया

रामदयाल रोहज

भादों ने विश्राम किया
बूँदों के बाण चलाकर
मार चुकी सूखे की सेना
चपला - असि चलाकर

 

घन-तरकश अब रिक्त हुआ
है धनुष गगन में टाँग दिया
अब भाई आसोज पधारे
आते ही कुछ काम किया

 

अनगिनती की संख्या में
निदाघ-बाज़ लेकर आया
देख हरित चिड़ियाओं का
डर के मारे मन घबराया

 

दिन आये है श्राद्धों के
पितरों को भोग लगाया है
भोजन छत पर छोड़ा है
पर कौओं ने पहुँचाया है

1 टिप्पणियाँ

  • 20 Sep, 2019 08:52 AM

    बहुत ही शानदार रचना

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