नीली छतरी वाली
रामदयाल रोहजचौराहे पर खड़ी है
एक नीली छतरी वाली लड़की
लेकिन उसकी छतरी में है
एक छेद
थाली जैसा गोल छेद
जिसमें से लगातार आ रही है
आग की लपटें
उसके गोल मटोल मुखड़े से
लगातार बह रही है
पसीने की नदियाँ
और बन गये है
नमकीन समंदर
दोपहर को वह छेद
आ जाता है
छतरी के शिखर पर
और धीरे धीरे लुढ़ककर
गिर गया एक तरफ़
फिर एकदम ग़ायब
लेकिन अब
उसी छतरी में हो गये
अरबों खरबों छेद
बाजरा मटर बैर और
नींबू के आकार के
यह देख लड़की हैरान है
कि इन छिद्रों से
आग नहीं
शीतलता बरस रही है
फिर अचानक
हो जाती है दुखी
अपनी हरी पोशाक देखकर
"ये दुष्ट दुश्शासन
क्यों छीन रहे है
लगातार मेरे वस्त्र"
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