हिम्मत की क़ीमत
रामदयाल रोहजबैठे भरोसे भाग्य के
मंज़िल वो पा सकते नहीं
हिम्मत बिना दो वक़्त की
रोटी जुटा सकते नहीं
फोड़कर पाषाण ही
अंकुर जीवन पाता है
लोहा ले शीतोष्ण से
धरती पर लहराता है
शुष्क हो सागर कभी
तूफां मचा सकते नहीं
हो पवन कातर तो
तिनका भी हिला सकते नहीं
तोड़कर चट्टान को
नदियाँ निकलती हैं
शान से मैदान में
मस्ती से चलती हैं
एक छेनी ने पूर्ण
पर्वत हिलाया है
चीर उसका वक्ष
सीधा पथ बनाया है
चींटी भी आसानी से
अन्नकण को जुटा सकती नहीं
हिम्मत बिना मैदान भी
साथी कभी बनता नहीं
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