परिभाषा

15-11-2023

परिभाषा

संजय वर्मा 'दृष्टि’ (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

गर्मियों की छुट्टियों में एक श्रीमान के यहाँ उनकी साली आई। श्रीमान की पत्नी की आवाज़ बहुत ही सुरीली थी। वो अपनी नन्ही-सी बेटी को अक़्सर लोरी गा कर सुलाती थी। जब वो लोरी गा रही थी तब श्रीमान की साली जी ने उस लोरी को रेकार्ड कर वीडियो बना लिया सोचा दीदी इतना अच्छा गाती है। मैं घर जाकर माँ को दिखाऊँगी। साली जी कुछ दिनों बाद घर चली गई।

कुछ दिनों बाद श्रीमान की पत्नी को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया काफ़ी इलाज करने के उपरांत वह बच नहीं पाई, चल बसी। उधर पत्नी की मृत्यु का ग़म और इधर नन्ही बच्ची को सँभालने की चिंता। जब रात होती बच्ची माँ को घर में नहीं पाकर रोने लगती। हालाँकि वो अभी एक साल की ही थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या किया जाए? साली जी आई तो उसने लोरी वाला वीडियो जब बच्ची को दिखाया तो वो इतनी ख़ुश हुई और उसके मुँह से अचानक ‘माँ’ शब्द निकला और दोनों हाथ माँ की ओर उठे। मानो कह रहे थे—माँ मुझे अपने आँचल में ले लो! तभी टीवी पर दूर गाना बज रहा था—माँ मुझे अपने आँचल में छुपा ले गले से लगा ले कि और मेरा कोई नहीं।

उस समय के हालत से सभी घर के सदस्यों की आँखों में अश्रु की धारा बहने लगी। ममत्व और भावना की परिभाषा क्या होती है—किसी को समझाना नहीं पड़ा।

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