कोहरा

संजय वर्मा 'दृष्टि’ (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

कोहरे में लिपटे 
वृक्ष /पहाड़ कितने हसीं लगते 
जैसे प्रकृति ने 
सुबह की ठण्ड की
चादर ओढ़ ली हो।
 
इन पर पड़ी ओस की बूँदों से 
खुल जाती नींद इनकी
साथ ही सूरज के उदय होते 
ऐसा लगता  मानों 
घर का कोई बड़ा बुज़ुर्ग 
अपने बच्चों को जैसे उठा रहा हो।
 
तब ऐसा महसूस होता की 
प्रकृति भी सिखाती  
सही तरीक़े से जीने के लिये 
प्यार भरा अनुशासन।

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