खो गई हैं बेटियाँ 

01-04-2022

खो गई हैं बेटियाँ 

संजय वर्मा 'दृष्टि’ (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

नन्ही हथेली में
पकड़ना चाहती है चाँद को। 
ज़िद करके
पाना चाहती चाँद को। 
 
छुप जाता है जब
माँ को पुकारतीं, पाने चाँद को। 
थाली में पानी भरकर
परछाईं से बुलाती माँ चाँद को। 
 
छपाक से पानी में
हाथ डाल पकड़ना चाहती चाँद को। 
छुपा-छाई खेलते हुए
बिटियाँ पा जाती है चाँद को। 
 
चाँद तो अब भी आकाश में
बिटियाएँ कम हो गईं पाने चाँद को। 
कम हो गई बेटियाँ
माँ कैसे कहे ये बात चाँद को।

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