माँ और मेरा बचपन

01-07-2020

माँ और मेरा बचपन

अनीता श्रीवास्तव (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

बड़ी-बड़ी आँखों वाली थी
सुंदर मुखड़े वाली थी
वो भी क्या दिन थे
जब मेरी माँ परियों सी प्यारी थी।


झूल-झूल जाती बाँहों पर
चुम्बन पा जाती गालों पर
वो भी क्या दिन थे जब
मैं कोंपल थी औ' माँ डाली थी।


मैं थी उसका हीरा मोती
मुझे संग ले कर वो सोती
वो भी क्या दिन थे जब
वो रानी, मैं राजकुमारी थी।


उँगली पकड़-पकड़ कर चली
उसका सपना बन कर पली
वो भी क्या दिन थे जब
माँ की हर इक बात निराली थी।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कहानी
कविता
लघुकथा
गीत-नवगीत
नज़्म
किशोर साहित्य कविता
किशोर साहित्य कहानी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें