हिंदी में

प्रभुदयाल श्रीवास्तव (अंक: 261, सितम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

लेख लिखा मैंने हिंदी में,
लिखी कहानी हिंदी में
लंदन से वापस आकर फिर,
बोली नानी हिंदी में।
 
गरमी में कश्मीर गये तो,
घूमे कठुआ श्रीनगर।
मज़े -मज़े से बोल रहे थे,
सब सैलानी हिंदी में।
 
पापा के संग गए घूमने,
हम कोच्ची में केरल के,
छबि गृहों में लगा सिनेमा
‘राजा जॉनी’ हिंदी में।
 
बेंगलुरु में एक बड़े से,
होटल में खाना खाया।
सब लोगों ने ही माँगा था,
खाना, पानी हिंदी में।
 
उत्तर -दक्षिण, पूरब- पश्चिम,
में हिंदी सबको आती,
जगह-जगह पर हमने जाकर,
बातें  जानी हिंदी में।
 
रोज़ विदेशी धरती से भी,
लोग यहाँ पर आते हैं।
उन्हें नमस्ते कहकर करते,
हम अगवानी हिंदी में।
 
अमर नाथ पहुँचा करते हैं,
तीर्थ यात्री दुनिया के,
बोला करते जय बाबा, जय,
जय बर्फ़ानी हिंदी मे|
 
उड़िया कन्नड़ आसमिया सी,
कई  भाषाएँ भारत में।
लेकिन सबको बहुत लुभातीं,
बोली वाणी हिंदी में।
 
भारत के नेता जाते हैं,
कहीं विदेशी धरती पर,
देते रहते अक्सर भाषण,
अब  तूफ़ानी, हिंदी में।
 
मान यहाँ सब भाषाओं को ,
पूरा-पूरा मिलता है।
लेकिन पढ़ने लिखने में तो,
है आसानी हिंदी में।

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