वसंत
संजय वर्मा 'दृष्टि’मोहब्बत को याद करो
दिल फिर से जवां हो जाता
ख़्वाब बनता सुहाना
दिल को ख़ुश कर जाता।
वसंत के आने से
मन गुनगुनाता
प्यार का पंछी चहचहाता
धड़कन ऐसी धड़कती
मन गीत राग छेड़ जाता।
वसंत ऋतु को सजाते
आमों पर फूल सुहाते
टेसू पहाड़ों पर रंग जमाते
सूने पहाड़ सुंदर नज़र आते।
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