आज का भाव

शैली (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

आलू पचास का तीन किलो
सौ रुपये में तीन किलो प्याज़
क्या है कमाल..
इस प्याज़ और आलू ने
कितने रंग दिखाए
कभी मेरे समझ में
न आए
कभी तीन सौ रुपये बिकी
लोगों के लॉकरों में सजी
सपनों में आयी
ख़ूब ख़बरें बनायीं
यहाँ तक की सरकारें
गिर गईं 
पर प्याज़ ऊपर ही ऊपर
चढ़ गई
और कोरोना-काल में 
दस रुपये में बिक गयी 
किसान, अढ़तिया या सरकार
कौन, या कौन-कौन? 
करते हैं, ऐसे कमाल? 
ज़मीन वही, जनसंख्या वही
उपज भी कमोबेश वही
फिर कैसे इतने उतार-चढ़ाव? 
सोना-चाँदी भी  ना कर सके 
ऐसे धमाल . . .
आलू तो आलू
पर प्याज़ . . .
है कमाल 

1 टिप्पणियाँ

  • 11 Sep, 2021 09:47 AM

    क्या खूब किया है प्याज कथा का गान

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