रात (संजय वर्मा ’दृष्टि’)
संजय वर्मा 'दृष्टि’चमकते जुगनू
लगते चराग़ों से
कुछ फूल खिलकर
कर रहे बातें रातों से
कैसे करें भँवरे मुहब्बत फूलों से
ख़ुश्बुओं ने कर ली है बातें
तितलियों से
रात में खिले फूलों से
उड़ी ख़ुश्बुएँ
और
चमकते हुए जुगनुओं को
देखो, टिमटिमाते हुए
हैरान/मदमस्त हो जाओगे
क़ुदरत की दस्तकारी पर
तभी समझ भी सकोगे कि
रात सुहानी क्यों हुआ करती।
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