कभी न थकती चलती रहती नन्ही चींटी। गरमी से घबराना कैसा सरदी में रुक जाना कैसा भूख-प्यास सब कुछ है सहती नन्हीं चींटी। सीखो सदा प्रेम से रहना हँसकर दुख सुख सारे सहना ‘मेहनत करके जियो’ -कहती नन्हीं चींटी।