अच्छा इंसान

01-02-2021

अच्छा इंसान

आलोक कौशिक (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

किसी देश का फ़ौजी हो 
या हो कहीं का किसान 
यह ज़रूरी नहीं है 
वह होगा अच्छा इंसान 
 
पेशे से नहीं बनती 
इंसान की परिभाषा 
हर पुष्प की नहीं होती 
एक जैसी अभिलाषा 
 
बेइमानों की जहान में  
मुश्किल है पहचान 
किंतु सत्य यह भी है 
सब नहीं एक समान 
 
इंसानियत जिसमें ज़िंदा 
जो संवेदनहीन नहीं 
नेक हो जिसकी नीयत 
है अच्छा इंसान वही 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
बाल साहित्य कविता
लघुकथा
कहानी
गीत-नवगीत
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में