यादें (निर्मल सिद्धू)
निर्मल सिद्धू
पुरानी यादें
ज़िन्दा रहें हमेशा
मिटे ना कभी
मीठी सी याद
निर्मोही सजन की
रहे सताती
बैठ के रोता
यादों के सिराहने
दिल पागल
लम्हें यादों के
भुलाये न भूलते
नैनों में चुभें
रह-रह के
दिन बचपन के
याद हैं आते
बिछड़ गये
सब यार दिवाने
बची हैं यादें
जहाँ भी गया
यादों का ये क़ाफ़िला
साथ ही गया
गये जो छोड़
मन करता याद
मुड़ जो आयें
मधुर यादें
मुझे मेरे प्यारों की
देती हैं सुख
यहाँ या वहाँ
घर हो प्रवास हो
यादें हैं साथ
कर्म कि धर्म
किसको रखें याद
किसे भुलायें