इक न इक दिन
निर्मल सिद्धूइक न इक दिन जनाब बदलेंगे
जब होगा, बेहिसाब बदलेंगे
यादे माज़ी जो मुस्कुरायेगा
दिल के सारे जवाब बदलेंगे
ख़ौफ़ अपनों का डर ज़माने का
झूठे उनके नक़ाब बदलेंगे
दिल में डर काँटों का लगा पलने
हाथों के अब गुलाब बदलेंगे
कौन जीता वक़्त से निर्मल यां
जो बने हैं नवाब बदलेंगे