पर्यावरण
निर्मल सिद्धूपेड़ जो कटे
धरा हुई घायल
चेत रे प्राणी
जल विहीन
कैसा होगा संसार
ज़रा तो सोचें
हवा जो चले
श्वास भी तभी चले
ना करें मैली
अग्नि सम्मुख
नियंत्रण ज़रूरी
वर्ना हो नाश
आकाश पर
रक्खें नज़र पर
ध्यान पैरों पे
हे पंच तत्व
हम तो ऐसे ही हैं
दया रखना