आपसे बात मेरी जो बनने लगी
निर्मल सिद्धूआपसे बात मेरी जो बनने लगी
दिल बहकने लगा आस जगने लगी
धीरे-धीरे हुआ ये असर जान-ए-मन
हर तमन्ना मेरी फिर मचलने लगी
दर्द-ए-तन्हाई अब दूर होने लगा
होश उड़ने लगा रूह खिलने लगी
दास्तान-ए-मुहब्बत हुई है जवां
वो कली प्यार की फिर संवरने लगी
हाथ जब से है थामा मेरा आपने
ज़िन्दगी को नई राह मिलने लगी
आज 'निर्मल' ने मौसम को कहते सुना
हर घड़ी प्यार में अब तो ढलने लगी