अपनी भाषा
निर्मल सिद्धूअपनी भाषा
आत्म ज्ञान का स्रोत
गले लगायें
चाहते हम
ज़ुबां-ज़ुबां पे हिन्दी
पर हो कैसे
भूलेंगे जब
अपने मतभेद
फैलेगी हिन्दी
ध्वज हिन्दी का
ऊँचा रहे हमेशा
यत्न करें जो
होगी हर सू
हिन्दी की जयकार
सीखें जो बच्चे