आगाज़

आहुति -
कहते हैं कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, अच्छा और बुरा। ऐसा ही कुछ मीडिया के साथ है। राई का पहाड़ बनाना या बात को तूल देना इन्हें ख़ूब आता है। यह अच्छी बात है कि ख़बर अच्छी हो या बुरी, जनमानस तक पहुँचाना इनका कर्तव्य है परन्तु ख़बर देने के मामले में ये एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा में इस क़दर अन्धे हो जाते हैं कि ख़बरों का कीचड़ इन पर या इनके समाज पर गिरे, इससे इन्हे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। अपनी इमेज को ऊँचा उठाने के मद में ये लोग दूसरों के दुख-दर्द को रौंदते हुए बड़े आराम से उनके ऊपर से गुज़र जाते हैं।

 

अपना-बेगाना-

"मि. सिंह.... कैसे हैं.... मैंने आपसे कहा था न कि हम-सब हवा के झोंके की तरह हैं.... आते हैं, चले जाते हैं..... कोई आज तो कोई कल.... सबकी बारी निश्चित है.... इसलिये बी ब्रेव मि. सिंह.... बी ब्रेव.... बी ब्रेव.... बी ब्रेव.......!"

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