मैं तो एक दिवाना हूँ
निर्मल सिद्धूमैं तो एक दिवाना हूँ
अलबेला मस्ताना हूँ
हर पल मस्ती छलके है
इक ऐसा मयख़ाना हूँ
मौसम आते जाते हैं
कुदरत का नज़राना हूँ
तन मन जो रौशन कर दे
उस शम्मा का परवाना हूँ
दिल में आकर देखो तो
इक अनमोल ख़ज़ाना हूँ
अब भी सिक्का चलता है
चाहे दौर पुराना हूँ
'निर्मल' तेरी बातों से
मैं जाना पहचाना हूँ