कुछ नये रिश्ते ढूँढ़ते हैं
निहाल सिंह212 212 122
कुछ नये रिश्ते ढूँढ़ते हैं
चिट्ठी के पन्ने ढूँढ़ते हैं
भीड़ में खो गया मैं जिनसे,
मेरे वो बेटे ढूँढ़ते हैं
पेड़ पर बैठे बच्चे सारे,
आम के टुकड़े ढूँढ़ते हैं
गाँव में आये शहर के लोग,
रास्ते पक्के ढूँढ़ते हैं
बाग़ में फिरते पगले भँवरे,
फूलों के गुच्छे ढूँढ़ते हैं