जाड़ा
निहाल सिंहवज़्न: 2122 2122 2122
गुनगुनी सी धूप लेकर आया जाड़ा
ताप बिस्तर में से सोकर आया जाड़ा
गुड़, गजक, हलवा, पुरी, मेवा, जलेबी,
रेवड़ी का स्वाद चखकर आया जाड़ा
सरसों के पल्लव पे बैठे अंबुओं के
शीत सीपिज में नहाकर आया जाड़ा
हल्की-हल्की गेहूँ की लघु बालियों पर
सुबहा के आलम में उड़कर आया जाड़ा
तप्त-तीक्ष्ण आँच की जलती लौ में यूँ
तड़के-तड़के खूब तपकर आया जाड़ा