जाड़ा

01-01-2023

जाड़ा

निहाल सिंह (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

वज़्न: 2122    2122    2122
 
गुनगुनी सी धूप लेकर आया जाड़ा
ताप बिस्तर में से सोकर आया जाड़ा
 
गुड़, गजक, हलवा, पुरी, मेवा, जलेबी, 
रेवड़ी का स्वाद चखकर आया जाड़ा
 
सरसों के पल्लव पे बैठे अंबुओं के
शीत सीपिज में नहाकर आया जाड़ा
 
हल्की-हल्की गेहूँ की लघु बालियों पर
सुबहा के आलम में उड़कर आया जाड़ा
  
तप्त-तीक्ष्ण आँच की जलती लौ में यूँ
तड़के-तड़के खूब तपकर आया जाड़ा

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