हँसते खिलते
निहाल सिंहहँसते खिलते फूल चमन में
लगते हैं कितने प्यारे
खिली कलियाँ, उड़ती तितलियाँ
है क़ुदरत के सभी नज़ारे
ऊँचे-ऊँचे पर्वत नीचे
छोटे-छोटे गाँव सुहाने
नभ में उड़ते खेचर नवीन
भू पर पसरे ताल पुराने
खुलते पेड़ों से छनती
नरम-नरम सी धूप सुहानी
कल-कल करती वाहिनियों से
बहती धारा कहे कहानी
छम-छम करती पायल कि लगन
है घुलती जाए हवाओं में
नील गगन से गिरती शबनम
पसरी पड़ी सूनी राहों में
गोरे-गोरे बैलों के पग
में बजते घुँघरू की धुन पर
ठुमक-ठुमक के सब मतवाले
नाचते हैं राह के पत्थर