हँसते खिलते

15-08-2022

हँसते खिलते

निहाल सिंह (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

हँसते खिलते फूल चमन में
लगते हैं कितने प्यारे 
खिली कलियाँ, उड़ती तितलियाँ
है क़ुदरत के सभी नज़ारे
 
ऊँचे-ऊँचे पर्वत नीचे
छोटे-छोटे गाँव सुहाने
नभ में उड़ते खेचर नवीन
भू पर पसरे ताल पुराने
 
खुलते पेड़ों से छनती 
नरम-नरम सी धूप सुहानी
कल-कल करती वाहिनियों से
बहती धारा कहे कहानी
 
छम-छम करती पायल कि लगन
है घुलती जाए हवाओं में
नील गगन से गिरती शबनम
पसरी पड़ी सूनी राहों में
 
गोरे-गोरे बैलों के पग 
में बजते घुँघरू की धुन पर
ठुमक-ठुमक के सब मतवाले
नाचते हैं राह के पत्थर

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