कैसे बताऊँ? 

15-07-2024

कैसे बताऊँ? 

धर्मेन्द्र सिंह ’धर्मा’ (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

कभी आओ अगर ख़्यालों में, 
तो बताएँ आपको . . . 
कितना अहम हिस्सा हो, 
मेरी ज़िंदगी में तुम। 
 
उगते हुए दिनकर के जैसी, 
शर्माती हुई साँझ हो तुम। 
मद्धम-मद्धम नींदों में, अक्सर . . . 
पनप उठते हो मेरे ख़्वाब में। 
 
तुम हिस्सा हो। 
मेरे हरेक पल का . . . 
जो उभरता है, मेरे मन में कहीं, 
तुम्हारे क़रीब होने से। 
 
कैसे बताऊँ? 
कि तुम क्या हो मेरे लिए? 
किन्तु! जो भी हो . . . 
मेरे लिए पर्याप्त है। 

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